
महोबा। 79वां स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पंड़ित दीनदयाल उपाध्याय पेंशनर भवन में पूरे हर्षाेल्लास और गौरव के साथ मन। वरिष्ठ नागरिक पेंशनर्स सेवा संस्थान उ0प्र0 महोबा के तत्वावधान में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। महामंत्री बीके तिवारी एवं अध्यक्ष सुनील शर्मा जी द्वारा ध्वजा रोहण किया गया। तिरंगे को सलामी देने के बाद, सभी उपस्थित सदस्यों ने राष्ट्रगान गाया और भारत माता की जय के नारे लगाए। इस अवसर पर बीके तिवारी ने आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए समाज को नयी दिशा देने का संकल्प लिया, अपील की कि हम अपने अनुभव का लाभ समाज में फेली कुरीतियों को दूर करने में लगायें। उन्होंने ने स्वतंत्रता संग्राम के वीर शहीदों को याद किया और उनके बलिदान को नमन किया। उन्होंने कहा, आज हम जिस आजादी की हवा में सांस ले रहे हैं, वह हमारे पूर्वजों के संघर्ष और त्याग का परिणाम है। हमें इस आजादी का सम्मान करना चाहिए और इसे बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि वे समाज के स्तंभ हैं और उनका अनुभव नई पीढ़ी के लिए एक मार्गदर्शक है। उन्होंने सभी से देश के विकास में अपना सहयोग जारी रखने का आह्वान किया। संस्थान के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने विकसित भारत के लिए स्वावलम्बी होना आवश्यक है तथा स्वदेषी अपना कर देश को आर्थिक रूप से मजबूत करने की अपील की। कहा कि देश की प्रगति और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य पर जोर दिया। उन्होंने कहा, हमारा देश आज दुनिया में एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। यह हमारे वैज्ञानिकों, किसानों, मजदूरों और हर एक नागरिक की कड़ी मेहनत का नतीजा है। उन्होंने संस्थान की गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि वरिष्ठ नागरिक न केवल अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं, बल्कि वे समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को भी बखूबी निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका संस्थान हमेशा अपने सदस्यों के कल्याण और सम्मान के लिए प्रतिबद्ध रहेगा। सभा का संचालन महेन्द्र कुमार गुप्ता ने किया। इसी क्रम में अन्य वक्ताओं ने भी सभा को सम्बोधित किया। इस अवसर पर रामसजीवन गुप्ता, लघुचन्द्र नारायण अरजरिया, संतोष सक्सेना, जमील अहमद, लक्ष्मी तिवारी, शिवकुमार त्रिपाठी, बसंतलाल गुप्ता, विष्णुचन्द्र खरे, नाथूराम शुक्ला, अरूण खरे, सत्यभामा, मुन्नी देवी, अरविन्द खरे, जगदीश कुमार, इश्तिार खां, गंगाप्रसाद सहित तमाम पेंशनर मौजूद रहे।






