महोबा । केंद्र सरकार ने 25 मार्च 2025 को वित्त विधेयक 2025 के साथ एक विधेयक पारित किया था जिसके तहत 2025 के पूर्व सेवानिवृत्त हुए किसी भी पेंशनर को एक अलग इकाई घोषित किया जाएगा और सरकार को यह घोषित करने का अधिकार होगा कि पूर्व पेंशनभोगी सरकारी सेवा से नए सिरे से सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनभोगियों को दिए जाने वाले किसी भी लाभ का दावा नहीं कर सकेंगे। यद्यपि यह कदम सर्वोच्च न्यायालय के उस ऐतिहासिक निर्णय की भावना के विरुद्ध है जिसके अनुसार सरकार एक ही वर्ग के पेंशनभोगियों को कृत्रिम कट ऑफ तिथियों के अनुसार विभाजित नहीं कर सकती जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है फिर भी सरकार द्वारा वृद्ध पेंशनरों को आठवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर पेंशन पुनरीक्षण किये जाने से वंचित कर दिया गया है।
उक्त जानकारी वरिष्ठ नागरिक पेंशनर सेवा संस्थान के महामंत्री बीके तिवारी ने देते हुए पत्रकारों को बताया कि यह संशोधन 2025 के पूर्व के पेंशनभोगियों को भविष्य के पेंशनभोगियों के समान लाभ से वंचित करने वाला है। सरकार ने कुटिल नीति अपनाकर विधेयक को अलग से लाने के बजाय वित्त विधेयक के हिस्से के रूप में पेश करने और विपक्ष के विरोध के बाद विधेयक को पारित कराना निंदनीय कदम है।
श्री तिवारी ने सभी सहयोगियों और पेंशनभोगी समुदाय से अपील की है कि वह केंद्र के इस नए हमले के विरुद्ध संगठित होकर पुरजोर विरोध करें। जनपदों में निष्क्रिय पेंशनरों को सरकार द्वारा आठवें वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू न करने एवं पेंशनरों को मिलने वाले लाभों से वंचित करने के बारे में आगाह करने का काम प्रारंभ कर दें।